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मुख्य विशेषताएँ
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○ नए रंगोली एप्लिकेशन
नए डिजाइन और बेहतर एनीमेशन के साथ
○ सौ प्रतिशत
मुफ्त डाउनलोड
○ सबसे कम डाउनलोड
परिमाण
, लगभग
8 MB
○
सरल
और आसान
स्टेप्स द्वारा
मार्गदर्शक
○
छात्रों
के लिए आसान
○
अनुक्रियाशील
और
तेज उपयोक्ता अंतरपृष्ठ (UI)
○
250
से अधिक
डिजाइन टेम्पलेट्स
चुनने के लिए
○
बिंदुओं
द्वारा रंगोली
○
खेल या प्रतियोगिताओं
के लिए अभ्यास
रंगोली भारत की प्राचीन सांस्कृतिक परंपरा और लोक-कला है। अलग अलग प्रदेशों में रंगोली के नाम और उसकी शैली में भिन्नता हो सकती है लेकिन इसके पीछे निहित भावना और संस्कृति में पर्याप्त समानता है। इसकी यही विशेषता इसे विविधता देती है और इसके विभिन्न आयामों को भी प्रदर्शित करती है। इसे सामान्यतः त्योहार, व्रत, पूजा, उत्सव विवाह आदि शुभ अवसरों पर सूखे और प्राकृतिक रंगों से बनाया जाता है
रंगोली भारत की सांस्कृतिक परंपराओं में सबसे प्राचीन लोक चित्रकला है। इस चित्रकला के तीन प्रमुख रूप मिलते हैं- भूमि रेखांकन, भित्ति चित्र और कागज़ तथा वस्त्रों पर चित्रांकन। इसमें सबसे अधिक लोकप्रिय भूमि रेखांकन हैं, जिन्हें अल्पना या रंगोली के रूप में जाना जाता है। भित्ति चित्रों के लिए बिहार का मधुबनी और महाराष्ट्र के ठाणे जिले में वरली नामक स्थान प्रसिद्ध है।
भारत के हर राज्य में अपना अलग है महत्त्व
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अल्पना
इसे मुख्यतः बंगाल में बनाया जाता है।महिलाएं चावल के आंटे,सूखी पत्तियों से बनाए रंग आदि से रंगोली बनाती हैं
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अरिपन
बिहार की प्रसिद्द रंगोली है जिसे खासकर मिथिला और इसके आसपास के इलाकों में बनाया जाता है
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अईपन
यह उत्तराखंड के इलाकों की प्रसिद्द रंगोली आर्ट है।इसे दीवारों और आंगन में डेकोरेशन के लिए बनाया जाता है
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झोटी और चिटा
इन्हें ओड़िसा के गांवों में प्रमुखता से बनाया जाता है।यह रंगोली से थोड़ी अलग होती है क्योंकि इसमें पाउडर का इस्तेमाल नहीं होता।पाउडर के रंगों की जगह इसमें लाइन आर्ट की जाती है जो कि चावल के पेस्ट से होती है
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कोलम
इसे तमिलनाडु और केरल में बनाया जाता है।कई हिन्दू घरों में महिलाएं रोजाना सुबह या त्यौहारों पर इसे जरुर बनाते हैं।कोलम में क्रिसक्रॉस, आड़ी और खड़ी लाइनों को जोड़कर डिज़ाइन बनाए जाते हैं
रंगोली धार्मिक, सांस्कृतिक आस्थाओं की प्रतीक रही है। इसको आध्यात्मिक प्रक्रिया का एक महत्त्वपूर्ण अंग माना गया है। तभी तो विभिन्न हवनों एवं यज्ञों में 'वेदी' का निर्माण करते समय भी माँडने बनाए जाते हैं। ग्रामीण अंचलों में घर-आँगन बुहारकर लीपने के बाद रंगोली बनाने का रिवाज आज भी विद्यमान है। भूमि-शुद्धिकरण की भावना एवं समृद्धि का आह्वान भी इसके पीछे निहित है। अल्पना जीवन दर्शन की प्रतीक है जिसमें नश्वरता को जानते हुए भी पूरे जोश के साथ वर्तमान को सुमंगल के साथ जीने की कामना और श्रद्धा निरंतर रहती है।
त्योहारों जैसे दीवाली, जन्माष्टमी, गणेश चतुर्थी , दशहरा, रामनवमी, महाशिवरात्रि, उगादी, हनुमान जयंती, नवरात्र, लक्ष्मी पूजन, धनतेरस, मकर सक्रांति, पोंगल, ओणम, लोहड़ी पर्व, आदि शुभ अवसरों पर बनाया जाता है